Saturday, June 28, 2008

मेरे शहर में आज रात
जमकर हुई बरसात
तन भीगता रहा
मन सुलगता रहा
तेरी यद् में सारी रात
करवटे बदलता रहा
न तुम आई, न नीद आई
मन मचलता रहा, दिल तड़पता रहा

1 comment:

पुरुषोत्तम कुमार said...

ab bus bhi karen. itna na sulgen ki aag hi lag jaye.